पिछले दो- चार सालों में स्कूलों में बच्चों की घटती उपस्थिति चिंता का विषय है। आख़िर बच्चे स्कूलों क्यों नहीं जा रहे हैं? तो इसकी वजह कहीं न कहीं लर्निंग एप और कोचिंग सेंटर हैं।
आज ऑनलाइन कई सारे लर्निंग एप उपलब्ध हैं। इन एप की मदद से बच्चे ऑनलाइन जाकर किसी भी विषय को कभी भी पढ़ सकते हैं और समझ सकते हैं। ये लर्निंग एप बच्चों की मदद तो करते हैं साथ ही ऑफिस जाने वाले पेरेंट्स के लिये भी वरदान हैं। जो ऑफिस के काम के चक्कर में अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते।
बच्चे अच्छे नंबरों से पास हों इसके लिये उनके माता – पिता क्या-क्या नहीं करते। अगर किसी एक सब्जेक्ट में बच्चा कमजोर है तो हर सब्जेक्ट की कोचिंग लगवा देते हैं। वहीं कोचिंग टीचर से घर पर एक्स्ट्रा क्लासेस भी लगवा देते हैं।आज लगभग हर शहर में हजारों की संख्या में कोचिंग सेंटर खुले हैं। और कुछ सेंटर तो इतने फेमस हो गये है कि देश का हर बच्चा उसमें पढ़ना चाहता है।
इसमें कोई दोराय नहीं कि ये कोचिंग सेंटर और लर्निंग एप बच्चों की पढ़ाई में मदद करते हैं। लेकिन इन दोनों के होने से कहीं न कहीं बच्चों का स्कूल के प्रति लगाव कम होता जा रहा है।
क्योंकि उन्हें लगता है कि स्कूल में पांच घंटे बैठने से अच्छा है कि एक घंटे की कोचिंग करके या एक घंटे का लर्निंग वीडियो देख कर पढ़ाई कर ली जाये। टाइम भी बचेगा और सब्जेक्टस ज्यादा अच्छे से समझ आयेगा।
एक कड़वा सच ये भी है कि आज जो टीचर स्कूल में पढ़ाते हैं वो अपना कोचिंग सेंटर भी चलाते हैं। वो स्कूल में पढने वाले बच्चों को नंबरों का लालच देकर अपनी कोचिंग में आने को कहते हैं। तो बच्चा भी सोचता है इस टीचर से स्कूल में पढने से अच्छा कोचिंग में पढ़ लिया जाये। कम से कम नंबर तो अच्छे आयेंगें।
और तो और जो बच्चे प्रतियोगी परीक्षा में पास होते हैं। उनकी देखा- देखी में भी बच्चा स्कूल से ज्यादा कोचिंग को महत्व देता है। क्योंकि उन्हें लगता है कि कोचिंग में पढ़ने वाले ही परीक्षा में पास हो सकते हैं।
बच्चों की स्कूल में कम उपस्थिति के जिम्मेदार जितने कोचिंगसेंटर और लर्निंग एप हैं उतने ही स्कूल के टीचर्स भी। क्या वो बच्चों को स्कूल में ही सही तरीके से नहीं समझा सकते। अपने थोड़े से लाभ के लिये बच्चों के अनमोल भविष्य से खिलवाड़ करते हैं।
——–Ayushi Shakya———-
✍️🙂👍
शायद डिजिटल इंडिया का असर है …
👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍
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Ji bilkul
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Bahut khoob
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